नारी शक्ति की पुंज हो तुम
फिर क्यूँ अबला कहलाई हो ।
पानी दूध की सरिता हो
यह मौन स्वीकृति पाई हो ॥
ममता प्रेम की मूरत हो तुम
विश्वास क्षमा की धागी हो ।
हर पूण्य तुम्ही से पुष्पित है
तुम ही बगिया की माली हो ॥
अँधेरे में चादनी सी हो
तुम मंद पवन सी शीतल हो ।
सूरज की रश्मि जैसी तुम
रौशन करती हर गुलशन हो ॥
हर घाव पे मरहम जैसी हो
धुप में बदली की छाव हो तूम ।
सुने मरुस्थल में हरदम
बन के आई बरसात हो तुम ॥
तुम बोझ वहन करती इतना
अपमान के घूंट भी पीती हो ।
तेरी उपमा से धरती भी
आज धरती माँ कहलाई है ॥
जब-२ तेरे धैर्य को तोडा गया
चंडी रूप बनाई हो तुम ।
कभी चंदमुखी कभी सूर्यमुखी
कभी ज्वालामुखी बन आई हो तुम ॥
तुम भूल न जाना शक्ति को
शिव भी बिन तेरे अधुरा है ।
सीता राधा के आगे बिना
राम कृष्णा का नाम न पूरा है ॥
फिर क्यूँ अबला कहलाई हो ।
पानी दूध की सरिता हो
यह मौन स्वीकृति पाई हो ॥
ममता प्रेम की मूरत हो तुम
विश्वास क्षमा की धागी हो ।
हर पूण्य तुम्ही से पुष्पित है
तुम ही बगिया की माली हो ॥
अँधेरे में चादनी सी हो
तुम मंद पवन सी शीतल हो ।
सूरज की रश्मि जैसी तुम
रौशन करती हर गुलशन हो ॥
हर घाव पे मरहम जैसी हो
धुप में बदली की छाव हो तूम ।
सुने मरुस्थल में हरदम
बन के आई बरसात हो तुम ॥
तुम बोझ वहन करती इतना
अपमान के घूंट भी पीती हो ।
तेरी उपमा से धरती भी
आज धरती माँ कहलाई है ॥
जब-२ तेरे धैर्य को तोडा गया
चंडी रूप बनाई हो तुम ।
कभी चंदमुखी कभी सूर्यमुखी
कभी ज्वालामुखी बन आई हो तुम ॥
तुम भूल न जाना शक्ति को
शिव भी बिन तेरे अधुरा है ।
सीता राधा के आगे बिना
राम कृष्णा का नाम न पूरा है ॥
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