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Sunday 30 June 2013

जिंदगी

जिंदगी इतनी आसान  नहीं होती है
कभी फूल कभी काँटों में कड़ी होती है ।
खुली आँख तो खुशियों की बौछार आई
बढे कदम तो खुसबू की बहार आई ।
खिले सुमन तो रंगों को बारात आई
कभी किसलय कभी पतझड़ की कड़ी होती हो
जिंदगी इतनी आसान  नहीं होती है ॥

चल के अंगारों पे दर्द पीना है
सब्र के मरहम से जख्म धोना है
पी  के  आंसू मुस्कुरा के जीना  है
सामने हर वक़्त इम्तहान की घडी होती है
जिंदगी इतनी आसान  नहीं होती है ॥

कच्चे धागे हैं डोर रिश्तों के
रंग कच्चे है नाजुक लड़ियों के
बिखर जाते हैं भावना के झोंको  से
हर लड़ी में सुख दुःख की कड़ी होती है
जिंदगी इतनी आसान  नहीं होती है ॥

दुर्गम पथ में अँधेरे साये  हैं
दीप उम्मीद के जलते आये हैं
कहीं अपने भी गैरों से पराये हैं
रिश्तों में स्वार्थ की दिवार खड़ी  होती है
जिंदगी इतनी आसान  नहीं होती है ॥


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