पूछते है दूसरों से उनका पता ठिकाना
हमने खुद का पता न जाना
दंभ की मैली चादर ओढ़ी
छल -कपट का ताना बना
कम क्रोध हुए संगी साथी
सत्य वचन नहीं जाना
हमने खुद का पता न जाना ।
कौड़ी को हीरा समझे हैं
हीरे का मारम न जाना
तत्व ज्ञान से वंचित रह गए
रिक्त ही रहा खजाना
हमने खुद का पता न जाना ।
आये हैं हम किस नगरी से
कहाँ है हमको जाना
मंजिल का कुछ पता नहीं है
आगे पथ है अनजाना
हमने खुद का पता न जाना ।
हमने खुद का पता न जाना
दंभ की मैली चादर ओढ़ी
छल -कपट का ताना बना
कम क्रोध हुए संगी साथी
सत्य वचन नहीं जाना
हमने खुद का पता न जाना ।
कौड़ी को हीरा समझे हैं
हीरे का मारम न जाना
तत्व ज्ञान से वंचित रह गए
रिक्त ही रहा खजाना
हमने खुद का पता न जाना ।
आये हैं हम किस नगरी से
कहाँ है हमको जाना
मंजिल का कुछ पता नहीं है
आगे पथ है अनजाना
हमने खुद का पता न जाना ।
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